चन्द्रमा की सतह के नीचे डायनोसौर के अवशेष खोजे

पारलौकिक जीवन का नया अध्याय लिखा-चांद पर डायनासोर अवशेष खोजे

आप माने या ना माने,चंद्रमा की सतह के नीचे 500 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को मेसोजोइक एरा के डायनोसौर के अवशेष जीवाश्मों के आप्लावित क्षेत्र के रूप में खोजा गया है। जिसे शौकिया खगोलविद् जगमोहन सक्सेना के द्द्वारा खोजा गया है। इस आशय का एक शोध आलेख – ‘औपन साइंस फ्रेम्वर्क- प्री प्रिंट’ नाम के ऑनलाइन जर्नल ने प्रकाशित करा है। इस पत्र को गूगल के Research Gate नामक विज्ञान शोध पटल पर भी इस लिंक DOI:10.13140/RG.2.2.16518.19528 के जरिए देखा जा सकता है।

यह पहली बार है कि उपग्रह छवियों के साथ रिमोट सेंसिंग टूल का उपयोग पारलौकिक जीवन के संकेतों को खोजने के लिए प्रभावी रूप से किया गया है।

ज्ञातव्य है कि जगमोहन इससे पूर्व बीकानेर में भी डायनोसोर के जीवाश्म खोज चुके हैं। यह शोध चंद्रमा, पशु और वनस्पतियों के विकास के क्रम व काल की एक नई बहस को शुरु कर सकता है। चन्द्रमा की सतह के नीचे की इस जगह की पहचान दक्षिण ध्रुव (निकट) क्षेत्र के रूप में की गई है – जो क्रेटर माजिनियस ई के बीच से बोगू सलॉवस्की एच क्रेटर  हिन्द क्रेटर और नुस्ल एस क्रेटर में पाया गया है। ये वे क्षेत्र हैं जो मेसोज़ोइक एरा के अन्य जानवरों के साथ डायनासोर के जीवाश्मों से बहुतायत में आच्छादित हैं। बहुत संभव है कि मेसोज़ोइक एरा के वनस्पतियों और अन्य जीवों के जीवाश्म भी इस जगह पर पाए जा सकते हैं।

चंद्रमा की सतह के नीचे पाए जाने वाले इन जीवाश्मों को संभवतः टी-रेक्स की एक खोपड़ी के रूप में पहचाना गया है, और पेरासौरौलोफस के दो कंकाल, ड्रेगन, प्रोटोसीराटोप्सियन के एक कंकाल की संरचना भी देखी गई है। इन्हें चंद्रमा की सतह के नीचे नासा द्वारा एल आर ओ सी साईट पर उप्लब्ध कराई गई छवियों में रिमोट सेंसिंग टूल की सहायता से देखा गया है।

हालांकि चंद्रमा के एक विशाल क्षेत्र की पहचान ‘मेसोजोइक एरा’ के बड़े जानवरों के जीवाश्मों से आच्छादित क्षेत्र के रूप में की गई है। लेकिन जिस क्षेत्र में जीवाश्मों की स्पष्ट संरचनाएं देखी गई हैं, उन्हें ही यहां रिपोर्ट किया गया है। यह खोज चंद्रमा के उद्भव के काल के बारे में एक नयी बहस शुरु कर सकती है। क्या चंद्रमा का उद्भव केवल 6.5 करोड़ वर्ष पहले हुआ था। या यह पृथ्वी से टूटे हुए टुकड़ों या कुछ उल्का पिंडों के माध्यम से जीवाश्मों से भर गया। या यह पृथ्वी और चंद्रमा पर एक साथ डायनासोर का समानांतर विकास की और इशारा करता है। यह आगे के अध्ययन और चर्चा का विषय हो सकता है। क्योंकि चंद्रमा और डायनासोर के विकास की अवधि के बीच एक बड़ा अंतर रहा है। जैसा कि माना जाता है कि चंद्रमा 4.5 अरब साल पहले अस्तित्व में आया, जबकि डायनासोर कुछ करोड़ साल पहले मेसोज़ोईक काल में अस्तित्व में आये थे।

चन्द्रमा पर पाये गये ये जीवाश्म अवशेष किस अवधि के हैं, वे चंद्रमा तक कैसे पहुंचे। क्या पृथ्वी पर डायनासोर के विनाश का क्रम, चंद्रमा की विकास से संबंध रखता है? ये सभी बिंदु गहरी जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं। जो हमें भविष्य के विज्ञान को और अधिक समृद्ध करने में सक्षम करेगा।

जगमोहन सक्सेना  Bikaner India

saxenajagmohan@gmail.com